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Feb 20, 2011

कुछ हमसफ़र से थे ,दोस्त वो मेरे ...


जब अकेले में बीती बातें याद आएँगी 
रखना वो कंधे पर हाथ को तेरा, याद फिर आएगा 
तब ख़त तुमको इक मैं भेजूंगा
सुनो-ऐ-दोस्त  मेरा ख़त मिले, तो तुम लौट आना 


घबराओं जब ऊँची-बंद दीवारों में , और
खिड़की दिल की खुल जाती हो 
तब  याद पुरानी तुम्हे मैं भेजूंगा 
सुनो-ऐ-दोस्त  मेरी याद  मिले, तो तुम लौट आना 


धुल भरी किताबों  में , जब  हाथ मेरा पड़ जायेगा 
नाम पुराने देखूंगा,और याद में फिर खो जाऊंगा
तब कुछ नाम तुम्हे मैं  भेजूंगा 
सुनो-ऐ-दोस्त  मेरा नाम मिले ,तो तुम लौट आना 


ढलते सूरज की परछाई में , याद शाम की महफ़िल आएँगी 
सब गीत पुराने गाऊंगा , और तनहा जश्न मानूँगा 
तब तनहा सा जीवन तुमको मैं  भेजूंगा 
सुनो-ऐ-दोस्त  मेरा जीवन मिले ,तो तुम लौट आना 


BY: Anjali Maahil

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