कुछ ऐसी पंक्तियाँ जो कुछ अल्फाजो के साथ बहुत गहरी बातें कर जाती हैं अक्सर , मुझसे उम्मीद है आपको पसंद आएँगी | :-
1) कभी ना असफल लिखा ,
ना कामयाब लिखा ,
पन्ना जो हूँ मैं ,एक किताब का ,
उस पन्ने का एक भाग लिखा |
2) उस रात में तुम जो आते ,
चाँद के परदे से तुम्हे ढक देती ,
तुम यूँ सरे-शाम बदनाम ना होते |
शुरू हंसी में करती हूँ ,
आखिर में साँस उखड ही जाती है |
4) बाज़ार में बेठे हैं बेचने को दिल ,
मगर बेकार जो है ये ,
तो खरीदार नही मिलता
5) बड़ी फरेब दुनिया है ,
हंसकर जो मिलती हूँ ,
तो दगाबाज़ कहते हैं|
6) लेके तस्वीर को उनकी , महफ़िल में ढूंढ़ते हैं ,
मगर मिलता नही कोई "पहचान" का चेहरा |
BY: Anjali Maahil
बहुत पसंद आयीं ये पंक्तियाँ.
ReplyDeleteआप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
सादर
लाजबाब....
ReplyDeleteहमें भी शामिल करिए........
" मैंने खुद को "मैं" कहना छोड़ दिया ...
जब से उसने कहा ..तुम मेरे हो ...