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Jun 28, 2011

ज़िंदगी का तमाशा

जो मुझे जलाते रहे ,
दिवाली की ख़ुशी पाते रहे ,
मेरी खुशियों से मेरा नाता तोड़ 
हर चोट पर मेरी , मुस्कुराते रहे 

मुझे कहा  गया ...
ज़िंदगी का तमाशा यही .....
फलसफा यही ...
जो लगे है आशा की किरण ,
वही तो निराशा है ...

आगे बढ़ने के ख्याल से सब छुटा ,
हम दुनिया  में रहकर ,
यकीं लोगो पर करते रहे ,
 और उलझाने अपनी बढ़ाते रहे ,

दर्द के बाज़ार से कुछ यूँ रहा ,
रिश्ता अपना ,
दस्तूर में रह कर ... दस्तूर निभाते रहे ,
खुशी देते रहे ....और गम अपनाते रहे |
मुझे अब आदत सी  हुई ,
आजमाइश की , तो ,
कत्ल करते रहे , आसूं भी बहाते रहे |

लोग आये तमाशा देखकर बोले ,
" अदा  खूब आती है " ,
कोई उनसे जाकर तो कहे ,
ये मेरी " पहचान " ना थी ,
ये ज़माने के ही रिवाज थे ,
जो ज़माने पर लुटाते रहे |



By : Anjali Maahil 

26 comments:

  1. लोग आये तमाशा देखकर बोले ,
    " अदा खूब आती है " ,
    कोई उनसे जाकर तो कहे ,
    ये मेरी " पहचान " ना थी ,
    ये ज़माने के ही रिवाज थे ,
    जो ज़माने पर लुटाते रहे |

    बहुत खूबसूरती से शब्दों से खेलती हैं आप.
    कविता में वास्तविकता और अपनी सोच को जिस तरह से प्रस्तुत किया है वह लाजवाब है.

    सादर

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  2. कल 29/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है-
    आपके विचारों का स्वागत है .
    धन्यवाद
    नयी-पुरानी हलचल

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  3. बहुत सुन्दर रचना..शब्दों और भावों का सुन्दर संयोजन..

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  4. बहुत खूबसूरती से लिखा है ..

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  5. शानदार रचना। भावनाओं और शब्दों में गजब का तालमेल है। पहली बार आना हुआ आपके ब्लाग पर। इतनी अच्छी रचना के लिए धन्यवाद के पात्र है।

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  6. जो मुझे जलाते रहे ,
    दिवाली की ख़ुशी पाते रहे ,
    मेरी खुशियों से मेरा नाता तोड़
    हर चोट पर मेरी , मुस्कुराते रहे ...अपने भावो को सुन्दर शब्दो से पिरोया है...सुन्दर रचना..

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  7. such ki baya karti karti apki khubsurat kavita..

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  8. " अदा खूब आती है " ,
    कोई उनसे जाकर तो कहे ,
    ये मेरी " पहचान " ना थी ,
    ये ज़माने के ही रिवाज थे ,
    जो ज़माने पर लुटाते रहे |
    bahut khubsurat shbdon ka tana bana :)
    very nice :)

    ReplyDelete
  9. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल ३० - ६ - २०११ को यहाँ भी है

    नयी पुरानी हल चल में आज -

    ReplyDelete
  10. लोग आये तमाशा देखकर बोले ,
    " अदा खूब आती है " ,
    कोई उनसे जाकर तो कहे ,
    ये मेरी " पहचान " ना थी ,
    ये ज़माने के ही रिवाज थे ,
    जो ज़माने पर लुटाते रहे |


    बहुत बढ़िया....

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  11. anjali ji shayed aapko maine pahli baar padha....aur yakin maniye aapki lekhni dil me utar gayi....beshak sadharan shabd vyanjana thi lekin dil se nikli baat aur har ek ki roz-marra ki zindgi ke ehsas the jo vastvikta ka libas odhe hain.

    laajawab rachna.

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  12. लफ़्ज़ों का बखूबी इस्तेमाल किया है .....एक ले सी बंधी पर बंधी रह नहीं पायी थोड़ी और कोशिश से एक शानदार ग़ज़ल बन सकती थी.......कृपया अन्यथा न लें |

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  13. कोई उनसे जाकर तो कहे ,ये मेरी " पहचान " ना थी ,ये ज़माने के ही रिवाज थे ,जो ज़माने पर लुटाते रहे ...
    समय स्वभाव में बदलाव और तल्खियाँ ला ही देता है , कुसूर किसका !

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  14. http://www.parikalpnaa.com/2011/07/blog-post_5706.html

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  15. लोग आये तमाशा देखकर बोले ,
    " अदा खूब आती है " ,
    कोई उनसे जाकर तो कहे ,
    ये मेरी " पहचान " ना थी ,
    ये ज़माने के ही रिवाज थे ,
    जो ज़माने पर लुटाते रहे |
    वाह ...बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ।

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  16. आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया. @यशवंत माथुर,
    @ पूजा,@ Kailash C Sharma ,@संगीता स्वरुप ( गीत ) ,@महेश्वरी कनेरी,@ अहसास, @ रश्मि प्रभा, @ वीना, @ Er. सत्यम शिवम, @ रोशी ,२ सुषमा (आहुति),@ वाणी गीत, @ अनामिका की सदायें ....., @ मीनाक्षी पन्त, @इमरान अंसारी ,
    @ वीना |

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  17. har shabd ko tol mol kar ek dum se fit kar diya aapne...:)
    bahut pyari kavita.........

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  18. very nice...
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)

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  19. बहुत सुंदर भावभरी रचना।

    शुभकामनाएं आपको

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  20. लाजवाब

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  21. आप सभी की शुभकामनाओं और प्रतिक्रियाओं के लिएय धन्यवाद .....!!!

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