बहुत असहज सा लगता है ,
कुछ पराया सा , छुटा हुआ !
तब अपनेपन की बहुत याद आती है !
बीते वक्त की तस्वीरों में ,
कैद हो गयी खुशियाँ सारी ,
मैं अतीत , और तुम वर्तमान ,
असलियत जब अपनी ,
तब याद आता है ,
मैं अतीत , और तुम वर्तमान ,
कहकर अंधेरों में कचोटती हैं ,
आईने में देखता हूँ ,असलियत जब अपनी ,
तब याद आता है ,
"देख कुछ कमी है मुझमे ...."
खाली से हाथ , शून्य की ओर ,
देखती एकटक आखें ,
कुछ तलाशती हुई ,
बेरंग दीवारों के बीच
घिरा "मैं" खुद को पाता हूँ ,
कुछ निराश , कुछ हताश ,
तब सोचता हूँ ,
" देख कुछ कमी है मुझमे ....."
खाली से हाथ , शून्य की ओर ,
देखती एकटक आखें ,
कुछ तलाशती हुई ,
बेरंग दीवारों के बीच
घिरा "मैं" खुद को पाता हूँ ,
कुछ निराश , कुछ हताश ,
तब सोचता हूँ ,
" देख कुछ कमी है मुझमे ....."
-Anjali Maahil